देश भर की अनेक जेलों के बारे में अक्सर ऐसी खबरें आती रहती हैं, जिनमें वहां बंद कैदियों को मोबाइल और टीवी जैसी विशेष सुविधाएं मुहैया कराने की शिकायतें होती हैं। कई बार जेलों के भीतर हथियारों के साथ हिंसा ने गंभीर हालात पैदा किए। जाहिर है, जेल परिसर में कैदियों को सुविधाओं से लेकर हथियार मिलना जेलकर्मियों या अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। इस तरह की खबरें आने के बावजूद देश भर में जेल-प्रशासन पर शायद कोई असर नहीं पड़ता है। यह बेवजह नहीं है कि एक ओर जहां तमाम ऐसे कैदी होते हैं, जिन्हें वहां रखा जाता है सजा काटने के लिए, लेकिन जेल में वे सुविधाओं के बीच अपना वक्त काटते हैं। दूसरी ओर, जेलों के भीतर अवैध सामग्रियों के कारोबार से लेकर हिंसा और यहां तक कि हत्या की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। गुरुवार को राजधानी दिल्ली की तिहाड़ जेल में जिस तरह एक विचाराधीन कैदी की अन्य कुछ कैदियों ने दौड़ा-दौड़ा कर हत्या कर दी, वह जेल के भीतर की सुरक्षा व्यवस्था पर गहरा सवालिया निशान है।
गौरतलब है कि सन्नी उर्फ सिकंदर डोगरा नाम के एक युवक को अवैध हथियार रखने के अपराध में तिहाड़ जेल में रखा गया था। वहां रहते हुए उसने जेल में नशीले पदार्थ बेचे जाते देखा और इसकी शिकायत प्रशासन से की थी। इसी के बाद नशीले पदार्थ बेचने के आरोपों के घेरे में आए कुछ कैदियों ने उससे दुश्मनी कर ली और मौका पाकर चाकुओं से गोद-गोद कर उसकी हत्या कर दी। यह घटना अपने आप में बताने के लिए काफी है कि राजधानी दिल्ली की जिस तिहाड़ जेल को सबसे सुरक्षित माना जाता है और उसे सुधार-गृह के रूप में पेश किया जाता है, वहां नशीले पदार्थों के कारोबार से लेकर हत्या तक की घटनाएं हो जा रही हैं। इस घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों की वहीं मौजूद कुछ अन्य कैदियों ने वीडियो बना ली, जिससे यह सब सामने आ सका। सवाल है कि जेल के भीतर कुछ कैदियों को नशीले पदार्थ कौन मुहैया कराता रहा! उन्हें घातक हथियार किसने उपलब्ध कराया! किस रास्ते से किसके जरिए ये सामान आरोपियों तक पहुंचे? जेलों में बंद दोषी या फिर आरोपी अगर वहां भी अपना आपराधिक धंधा चलाते रहते हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
विडंबना यह है कि जिस वीडियो के जरिए इस घटना से संबंधित कुछ तथ्य सामने आए हैं, उसे भी कैदियों में से किसी के जरिए बनाया गया बताया जा रहा है। यानी तिहाड़ जेल के भीतर सजा काटने वाले दोषियों के पास स्मार्ट फोन पाया जा सकता है, उन्हें नशीले पदार्थों का कारोबार करने में कोई दिक्कत नहीं होती है और यहां तक कि किसी से दुश्मनी होने पर वे उसकी हत्या तक कर देते हैं, तो आखिर जेल और वहां सजा की परिभाषा क्या होगी! ऐसा नहीं है कि दिल्ली की सबसे सुरक्षित जेल तिहाड़ में इस तरह की यह कोई पहली घटना है। करीब तीन महीने पहले भी एक कैदी ने दूसरे कैदी की चाकू से हत्या कर दी थी। सरकार और जेल प्रशासन की ओर से यह दावा किया जाता है कि बिना जांच और अनुमति के जेल के भीतर एक सुई भी नहीं ले जाया जा सकता है। लेकिन चाकू, नशीले पदार्थ, स्मार्टफोन और दूसरी चीजें जिस तरह पाई जाती रही हैं, उससे साफ है कि जेलकर्मियों की मिलीभगत से इस तरह के आपत्तिजनक और अपराध के दायरे में आने वाले सामान भी जेल में काट रहे दोषियों तक पहुंच जाते हैं। सवाल है कि जब तिहाड़ जेल इतनी असुरक्षित है, तब बाकी जगहों से क्या उम्मीद की जाए!